Chhath Puja 2021 : देश भर में इन दिनों छठ पूजा का महा पर्व मनाया जा रहा है सोमवार से शुरू हुई इस पूजा का आज दूसरा दिन है । छठ पर्व की कथाओं की अगर बात की जाए तो कहा जाता है की ये कहानियां कई पौराणिक किरदारों से होकर गुजरती है । इतिहास में रामायण से लेकर महाभारत में इस कथा के वर्णन मिलते हैं । छठ पूजा का इतिहास कितना पुराना है कि कहा जाता है कि सबसे पहले ये पूजा पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने की थी ।

Chhath Puja 2021 : महाभारत युद्ध से पहले द्रौपदी ने की थी छठ पूजा
द्वापर युग में पांडवों की पत्नि द्रौपदी ने महाभारत युद्ध से पहले छठ पूजा की थी । हालांकि द्रौपदी की ये पूजा आज की तरह सूप हाथ में लेकर अनुष्ठान नहीं किया था लेकिन उनकी पूजा के साक्ष्य आज भी मौजूद है।ये साक्ष्य झारखंड के नगड़ी गांव में है । झारखंड की राजधानी रांची में स्थित नगड़ी गांव की मान्यता के मुताबिक द्रौपदी ने छठ पूजा यहां की थी ।
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Chhath Puja 2021 : ये है कहानी

कहते हैं जब पांडव वनवास के समय जंगलों में भटक रहे थे तो एक दिन उन्हें बहुत तेज प्यास लगी, तेज धूप और गर्मी से उनके हाल बेहाल हो गए । लेकिन दूर दूर तक उन्हें पानी नहीं मिला और तब द्रौपदी ने अर्जुन को जमीन में तीर मार कर पानी निकालने की बात कही । अर्जुन ने जब धरती में तीर मारा तो पानी में एक सोता फूट पड़ा । पांडव इस बहते सोते से अपनी प्यास बुझाते इससे पहले द्रौपदी ने उन्हें रोक दिया ।
Chhath Puja 2021 : सूर्य देव ने दिया था अक्षय पात्र

द्रौपदी ने धैर्य का परिचय देते हुए पहले सूर्य देव को अर्घ्य दिया और कहा हमारी इतनी कठिन परीक्षा लेने के लिए आपको भी अपना ताप सामान्य से अधिक बढ़ा देना पड़ा होगा । इस जल से पहले आप शीतल हो लीजिए और हम पर कृपा बनाए रखिए ऐसा कहकर द्रोपती ने अंजलि से सूर्य देव को अर्घ्य दिया । सूर्य देव द्रोपदी के इस दृढ़ निश्चय और उसकी आस्था को देखकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपना तेज कम कर दिया और इसके बाद से ही द्रौपदी और पांडवों ने रोज का नियम बना लिया और कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को द्रोपदी सूर्य की विशेष पूजा करने लगी । जिससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें अक्षय पात्र दिया था और इस कथा के मान्यता अनुसार ही यह कहा जाता है कि द्रोपति ने ही सबसे पहले झारखंड के इस गांव में छठ पूजा की थी ।