Uttarakhandi Language : उत्तराखंड में बोली जाने वाली प्रमुख बोलियां, जानें कौनसे जिले में बोली जाती है कौनसी बोली

Uttarakhandi Language : “कोस कोस पर बदले पानी चार कोस पर बाणी” ये कहावत उत्तराखंड राज्य पर सटीक बैठती है उत्तराखंड में कुछ कदमों पर ही बोली में बदलाव देखा जाता है। तो आज हम भी आपको उत्तराखंड की उन्हीं प्रमुख बोलियों के बारे में बताएंगे जो यहां के लोग अमूमन प्रयोग में लाते हैं और उन्में से मुख्य भाषाएं गढ़वाली और कुमाऊँनी बोलियां हैं।

2 मंडलों में बंटा हुआ है उत्तराखंड राज्य

उत्तराखंड राज्य भले ही छोटा राज्य हो लेकिन यहां कदम—कदम पर बोली में बदलाव देखा जाता है और यही वजह है की उत्तराखंड की स्थानीय बोली को भाषा का दर्जा नहीं मिल सका है लेकिन यहां कदम—कदम पर बोली में बदलाव देखा जाता है। उत्तराखंड राज्य के बारे में बात की जाए तो ये राज्य दो मंडलों में बंटा हुआ है जो हैं गढ़वाल मंडल और कुमाऊँ मंडल। जहां गढ़वाल मंडल में गढ़वाल बोली प्रयोग में लाई जाती है तो वहीं कुमाऊँ मंडल में लोग कुमाउँनी बोली बोलते हुए नज़र आते हैं। सबसे पहले बात कर लेते हैं गढ़वाली बोली की।

गढ़वाल मंडल में आते हैं 7 जिले

उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल के भीतर 7 जिले आते हैं जिनमें पौड़ी, टिहरी, चमोली, हरिद्वार, देहरादून, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी शामिल हैं। इन सभी राज्यों में गढ़वाली भाषा बोली जाताी है। यदी गढ़वाली भाषा के प्रारूप को देखा जाए तो इसमें श्रीनगरिया,नागपुरिया, बधाणी, सलाणी, टिहरियाली, राठी,दसौल्या,मँझ कुमैया शामिल है। गढ़वाल के जाने मानें भाषाविद दिवंगत डॉ गोविंद चातक ने श्रीनगर और उसके आसपास बोले जाने वाली भाषा को आदर्श गढ़वाली कहा जाता है।

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Uttarakhandi Language : कुमाऊँ मंडल के लोग बोलते हैं कुमाउँनी भाषा

कुमाऊँ मंडल के भीतर 6 जिलें शामिल हैं जिनमें बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल, उधसिंहनगर, चंपावत जिला शामिल है। इन जिलों में लोगों द्वारा कुमाउँनी भाषा प्रयोग में लाई जाती है लेकिन यदी देखा जाए तो सभी जिलों में भाषा का रूप थोड़ा बदला हुआ नज़र आता है लेकिन ये सभी कुमाऊँनी भाषा की ही उपभाषाएं हैं। कुमाऊँनी भाषा की 10 उपभाषाएं हैं जिनमें से कुमैया, सोर्याली, अस्कोटी और सिराली, पूर्वी कुमाऊँ में बोली जाती हैं। जबकि खसपर्जिया,चौगर्खिया, गंगोली, दनपुरिया, पछाईं, और रोचोभैंसी पश्चिमी कुमाऊँ में बोली जाती है।

Uttarakhandi Language : देहरादून और टिहरी के कुछ भाग में बोली जाती है जौनसारी और जौनपुरी

इसके अलावा उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र को जौनसार भाबर कहा जाता है और यहां के लोग जौनसारी भाषा को प्रयोग में लाते हैं। मुख्य रूप से ये भाषा देहरादून जिले के कराता कालसी और त्यूणी तहसील में बोली जाती है। इसके अलावा इस क्षेत्र की सीमाएं टिहरी और उत्तरकाशी से भी लगी हुई हैं और इसलिए इन जिलों के कुछ हिस्सों में भी जौनसारी भाषा बोली जाती है। दूसरी तरफ टिहरी क्षेत्र में भी भाषाओं का फेर देखा जाता है जिले के जौनपुर विकासखंड में जौनपुरी बोली जाती है जिसमें दसजुला, पलीगाड, सिलवाड, जिला पाली गांव सिलवाड़,इडवालस्यूँ, लालूर,छजुला, सकलाना पट्टियां सम्मलित हैं।