उत्तराखंड का विधानसभा बजट सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित हो गया है। 14 जून से शुरू सत्र चार दिन तक चला, जिसमें सदन में चार विधेयक सहित बजट पेश और पारित हुआ। सत्र के दौरान, कुल 573 प्रश्नों पर सवाल-जवाब हुए। विपक्षी कांग्रेस ने सत्र के दौरान भाजपा सरकार को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सदन के अंदर और बाहर कांग्रेस आक्रामक रूप में दिखाई दी।
सदन 22 घंटे 43 मिनट चला, चार विधेयक भी हुए पास
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने बताया कि बजट सत्र 14 जून से 17 जून तक चला। सदन कुल 22 घंटे 43 मिनट चला। कुल 573 प्रश्न प्राप्त हुए। 14 अल्पसूचित प्रश्न में चार उत्तरित हुए। 190 तारांकित प्रश्न में 61 उत्तरित हुए। 339 आतारांकित प्रश्न में 165 उत्तरित हुए। कुल 17 प्रश्न अस्वीकार और तीन विचाराधीन रखे गए।
नौ याचिकाओं में से सभी याचिका स्वीकृत हुईं। नियम 300 में प्राप्त 76 सूचनाओं में से 21 सूचनाएं स्वीकृत, 26 सूचनाएं ध्यानाकर्षण के लिए रखी गईं। नियम 53 में 54 सूचनाओं में से छह स्वीकृत और 20 ध्यानाकर्षण के लिए रखी गईं। नियम 310 में चार सूचना प्राप्त हुईं, जो नियम 58 में परिवर्तित की गईं।
चार विधेयक पास हुए। पांच प्रतिवेदन रखे गए। सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। स्पीकर ने बताया कि सदन पूरा चलना चाहिए था। बजट पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी। इससे युवा विधायकों को अनुभव प्राप्त होता। व्यवधान के कारण बजट पर चर्चा नहीं हो पाई।
विरोध जताना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्हें इस पर आत्मचिंतन करना चाहिए। बेहतर होता कि वे विभागीय बजट पर कटौती प्रस्ताव लाकर चर्चा करते। इसके बावजूद ये सत्र सीखने वाला सत्र रहा। नए युवा विधायकों ने बेहतर तरीके से अपनी बात रखी।
वहीं दूसरी ओर, उत्तराखंड में हो रही बिजली कटौती को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को सदन में नियम 58 पर बोलते हुए सरकार को घेरा। सरकार की ओर से ठोस जवाब न आने पर वेल में आकर जमकर हंगामा किया। हंगामे के बीच ही सदन से वाकआउट किया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण राज्य की जनता को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है।
पहले से कोई प्लानिंग नहीं की गई। एलएंडटी हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट से सस्ती बिजली नहीं ली गई। संकट पर बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदी। ऊर्जा विभाग में अफसर, स्टाफ की भारी कमी है। इसका भी असर पड़ रहा है। विधायक रवि बहादुर ने कहा कि शहरों से अधिक गांवों में बिजली कटौती की गई है।
गांव में सात घंटे और शहरों में सिर्फ एक घंटे कटौती हुई। इसकी जांच हो। उनके क्षेत्र में 11 केवी की डेड लाइन में करंट आने से एक 29 साल के युवक की जान चली गई। इसकी भी जांच हो। विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि 20 रुपये प्रति यूनिट की दर से महंगी बिजली खरीदने से यूपीसीएल कर्ज में दब गया है।
समय पर शॉर्ट टर्म टेंडर नहीं किए गए। उत्पपादन नहीं बढ़ाया गया। मनोज तिवारी, आदेश चौहान, गोपाल राणा, तिलकराज बेहड़, अनुपमा रावत बोले कि खेती और उद्योगों को नुकसान हो रहा है। अफसर फोन नहीं उठाते। भुवन कापड़ी, ममता राकेश ने कहा कि कटौती से उद्योगों का उत्पादन बाधित हो रहा है।
उद्योग शिफ्ट हो रहे हैं या बंद हो रहे हैं। रोजगार प्रभावित हो रहा है। वीरेंद्र जाति ने कहा कि कोई प्लानिंग नहीं हुई। इसी से दिक्कत हुई।संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि तीन महीने जरूर गंभीर स्थिति रही। ये संकट कोयले और गैस की कमी और इससे चलने वाले पॉवर प्लांट से उत्पादन बाधित होने से खड़ा हुआ।
कोरोना के बाद डिमांड भी बढ़ी। पॉवर एक्सचेंज में बिजली महंगी हुई। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण भी दिक्कत बढ़ी। इसके बाद भी पहाड़ी जिलों और बड़े शहरों में कोई कटौती नहीं हुई। अन्य राज्यों से सस्ती बिजली दी जा रही है। एलएंडटी के रेट अधिक थे। उस समय बाजार में रेट काफी कम थे।